ख़ैर, टाइगर ने पिछली फिल्म में नर्सों को बचाया था और क्लाइमेक्स में अपनी बीवी जोया को। जिस बच्चे की मां को वह मौत के मुंह से निकाल लाया था, उसी बच्चे को टाइगर की कमजोरी बताने वाली फिल्म ‘टाइगर 3’ के पास एक तरह से देखा जाए तो इस जासूसी दुनिया को पहली बार ठीक से स्थापित करने का बेहतरीन मौका था। 12 मसाले और 56 जायकों वाली इस फिल्म में सब कुछ है। देशभक्ति का उफान है। मोहब्बत का उनवान है। एक नया शैतान भी है और साथ में पठान तो है ही। बस, अगर कुछ इस फिल्म में नहीं है तो वह है, एक अदद आत्मा। यशराज फिल्म्स की क्रिएटिव टीम को स्पेशल इफेक्ट्स के जरिये ही पूरी फिल्म बना देने की जो नई बीमारी लगी है, उसके इलाज के लिए इस पूरी टीम को मार्वल स्टूडियोज की बीते दो तीन साल में रिलीज हुई फिल्मों को लेकर इन फिल्मों के बीते 20 साल से प्रशंसक रहे युवाओं से बात करनी चाहिए। पठान और टाइगर के बीच के सीन इतने फिल्मी हैं, कि दोनों खुद शोले का जिक्र बीच में ले आते हैं। इस पूरी सीक्वेंस से भावनाओं का जो उबाल दर्शकों में आना चाहिए था, उसे रचने में इसके निर्देशक मनीष शर्मा पूरी तरह चूक गए हैं।
ख़ैर, टाइगर ने पिछली फिल्म में नर्सों को बचाया था और क्लाइमेक्स में अपनी बीवी जोया को। जिस बच्चे की मां को वह मौत के मुंह से निकाल लाया था, उसी बच्चे को टाइगर की कमजोरी बताने वाली फिल्म ‘टाइगर 3’ के पास एक तरह से देखा जाए तो इस जासूसी दुनिया को पहली बार ठीक से स्थापित करने का बेहतरीन मौका था। 12 मसाले और 56 जायकों वाली इस फिल्म में सब कुछ है। देशभक्ति का उफान है। मोहब्बत का उनवान है। एक नया शैतान भी है और साथ में पठान तो है ही। बस, अगर कुछ इस फिल्म में नहीं है तो वह है, एक अदद आत्मा। यशराज फिल्म्स की क्रिएटिव टीम को स्पेशल इफेक्ट्स के जरिये ही पूरी फिल्म बना देने की जो नई बीमारी लगी है, उसके इलाज के लिए इस पूरी टीम को मार्वल स्टूडियोज की बीते दो तीन साल में रिलीज हुई फिल्मों को लेकर इन फिल्मों के बीते 20 साल से प्रशंसक रहे युवाओं से बात करनी चाहिए। पठान और टाइगर के बीच के सीन इतने फिल्मी हैं, कि दोनों खुद शोले का जिक्र बीच में ले आते हैं। इस पूरी सीक्वेंस से भावनाओं का जो उबाल दर्शकों में आना चाहिए था, उसे रचने में इसके निर्देशक मनीष शर्मा पूरी तरह चूक गए हैं।
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