महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े 10 रहस्य
भगवान शिव को समर्पित यह स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में बना है। इस मंदिर का कई पौराणिक ग्रंथों में काफी सुंदर वर्णन मिलता है। देश-दुनिया से यहां सभी महाकाल यानी भगवान शिव के दर्शन हेतू पूरे साल आते रहते हैं, मगर कुंभ के दौरान यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके साथ ही मान्यताओं के अनुसार, मंदिर से जुड़ी कई किंवदंती भी प्रचलित हैं। जिस कारण से यह मंदिर, पर्यटकों की सूची में सबसे ऊपर आता है। आइए, जानते हैं क्या है महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े रहस्य, जिन्हें आज तक कोई नहीं भेद सका...
उज्जैन में महाकाल के प्रकट होने से जुड़ी एक कथा है। दरअसल दूषण नामक असुर से प्रांत के लोगों की रक्षा के लिए महाकाल यहां प्रकट हुए थे। फिर जब दूषण का वध करने के बाद भक्तों ने शिवजी से उज्जैन में ही वास करने की प्रार्थना की तो भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए
क्यों होती है भस्म आरती
हर सुबह महाकाल की भस्म आरती करके उनका श्रृंगार होता है और उन्हें ऐसे जगाया जाता है। इसके लिए वर्षों पहले शमशान से भस्म लाने की परंपरा थी, हालांकि पिछले कुछ वर्षों से अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म को कपड़े से छानने के बाद इस्तेमाल करना शुरू हो चुका है। केवल उज्जैन में आपको यह आरती देखने का सुनहरा अवसर प्राप्त होता है। दरअसल भस्म को सृष्टि का सार माना जाता है, इसलिए प्रभु हमेशा इसे धारण किए रहते हैं।
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