अजमेर सीरियल गैंग रेप एव ब्लैकमेलिंग केस, भारत में यौन शोषण के सबसे बड़े मामलों में से एक था। ईस पूरे कांड की शुरुआत सन 1992 में राजस्थान के एक शहर अजमेर में हुई थी। इस बर्बर रेप कांड में अजमेर के एक प्रसिद्ध गर्ल्स स्कूल जिसका नाम सोफिया सीनियर सेकंडरी गर्ल्स स्कूल था की सैकड़ों युवा लड़कियों को निशाना बनाया गया था। Ajmer Blackmail Case: अजमेर में स्कूल-कॉलेज की 300 से ज्यादा लड़कियों का यौन शोषण किया गया था.
जिसका आरोप शहर के सबसे रईस और ताकतवर खानदानों में से एक चिश्ती परिवार के लड़कों पर लगा था. दैनिक नवज्योति में खबर छपी कि अजमेर में लंबे समय से एक सेक्स स्कैंडल को अंजाम दिया जा रहा है. कुछ लोगों का एक ग्रुप स्कूल में पढ़ने वाली कम उम्र की लड़कियों का सामूहिक बलात्कार कर रहे हैं. हालांकि, इस खबर पर लोगों को भरोसा नहीं हुआ, क्योंकि न किसी लड़की ने खुलकर आरोप लगाए थे और न ही पुलिस में किसी ने शिकायत दर्ज की थी. इसके कुछ दिनों बाद 15 मई को फिर से एक खबर प्रकाशित हुई, जिसमें इन लड़कियों की धुंधली तस्वीरें भी छापी गई थीं. लड़कियों की इन तस्वीरों में कुछ लोग उनके साथ आपत्तिजनक हालत में नजर आ रहे थे. दो दिनों तक लगातार ये तस्वीरें दैनिक नवज्योति अखबार में प्रकाशित हुईं और इस खबर ने अजमेर में तूफान ला दिया था.
कहा जाता है कि ये खबर सामने आने के बाद तत्कालीन सीएम भैरो सिंह शेखावत की कुर्सी तक हिल गई थी. हर रोज नई तस्वीरें सामने आने लगीं और इन तस्वीरों की जीरॉक्स कॉपियां भी लोगों के बीच बंटने लगीं. किसी ने इसे अजमेर गैंगरेप कांड, तो किसी ने अजमेर ब्लैकमेल कांड करार दिया. लड़कियों के यौन शोषण का आरोप अजमेर दरगाह के खादिमों के परिवार पर कहा जाता है कि अजमेर ब्लैकमेल कांड में स्कूल-कॉलेज की 300 से ज्यादा लड़कियों का यौन शोषण किया गया था.
जिसका आरोप शहर के सबसे रईस और ताकतवर खानदानों में से एक चिश्ती परिवार के नफीस चिश्ती और फारुक चिश्ती पर लगा था. सामूहिक यौन शोषण के इस मामले के सामने आने के बाद बहुत से लोग केवल इस वजह से इस पर यकीन नहीं कर रहे थे कि चिश्ती परिवार सामाजिक और आर्थिक हैसियत में हद से ज्यादा ऊंचाईयों पर था.वहीं, फारुक चिश्ती अजमेर युवा कांग्रेस का अध्यक्ष था, तो नफीस चिश्ती उपाध्यक्ष था.
लड़कियों को फंसाने के लिए कुछ यूं बिछाते थे जाल द प्रिंट की एक खबर के अनुसार, 90 के दशक की शुरुआत में अजमेर में केवल दो ही रेस्तरां थे. सोफिया स्कूल और सावित्री स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां यहीं जाती थीं. अजमेर दरगाह के केयरटेकर यानी खादिमों के परिवार से आने वाले नफीस चिश्ती और फारुक चिश्ती अपनी खुली जीप, एम्बेसडर और फिएट कारों में घूमते थे. पैसा, सामाजिक प्रभाव और सियासी ताकत सब कुछ उनके पास था. लड़कियों महंगे गिफ्ट देना और रेस्तरां में खाना खिलाना इन लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी.
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