इंडिया और भारत के नाम का मुद्दा 74 साल पहले भी बहस का विषय बना था. देश के नामकरण को लेकरसंविधान निर्माताओं के बीच बहस हुई थी. दिलचस्प बात है कि वो भी सितंबर का महीना था और अब भी सितंबर चल रहा है.
संविधान के अनुच्छेद-1 से जुड़ा संशोधन सभा के सदस्य हरि विष्णु कामत पेश कर रहे थे. कामत ने नाम को लेकर संविधान सभा के सदस्यों से लम्बी-चौड़ी बहस की. उन्होंने कहा, एक गणतंत्र के रूप में देश का जन्म होने वाला है. सभा में देश के नाम को लेकर कई सुझाव दिए गए थे. इसमें भारत, हिन्दुस्तान, हिन्द, भारतभूमि और भारतवर्ष शामिल था. बहस शुरू हुई. कामत ने कहा कुछ लोगों का कहना है कि नाम रखने की क्या जरूरत है. वहीं कुछ सदस्य इसका नाम भारतवर्ष रखना चाहते हैं.
उनकी बात का जवाब देते हुए संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर ने कहा, मुझे इस बहस का उद्देश्य समझ नहीं आता. मेरे दोस्त को भारत शब्द पसंद है. इस पर संविधान के अध्यक्ष ने कहा कि यह मात्र भाषा में बदलाव का मामला भर है. कामत ने इस पर देश के नाम में इंडिया शब्द को जोड़ना एक गलती करने जैसा है.
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