पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य देश है, क्या आप सोच सकते हैं कि वहां किसी मंदिर (Hinglaj Mata Mandir) में जाकर मुसलमान भी माता (Hinglaj Mata) की पूजा-उपासना करते होंगे. आज हम आपको पाकिस्तान में स्थित ऐसे ही एक मंदिर (Hinglaj Mata Temple) के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां ना सिर्फ हिन्दू बल्कि मुसलमान भी जाकर अपना सिर झुकाते हैं.
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक मंदिर है, जिसका नाम है हिंगलाज माता का मंदिर. यह मंदिर अपनी पौराणिक कथाओं की वजह से पूरे पाकिस्तान में जाना जाता है. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने जब माता सती का शीश काटने के लिए चक्र फेंका था तो चक्र से कटा शीश जिस जगह पर गिरा था, यही वह जगह है. यह मंदिर बलूचिस्तान से 120 किलोमीटर दूर हिंगुल नदी के तट पर स्थित है.
इस मंदिर के बारे में 1500 साल पहले घूमने आए चीनी बौद्ध भिक्षुओं ने कई बातें लिखी हैं. इस मंदिर के बारे में चीनी बौद्ध भिक्षुओं ने बताया कि मोहम्मद बिन कासिम तथा मोहम्मद गजनी ने मंदिर को कई बार लूटा था. इस मंदिर में रोजाना 'जय माता दी' के जयकारे लगते हैं. जयकारा लगाने वालों में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी शामिल होते हैं. इसे हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है, जो हिंगलाज क्षेत्र में स्थित है.हिंगलाज माता का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. कहा जाता है कि माता के 51 शक्तिपीठ में से सबसे महत्वपूर्ण पीठ यहीं आकर गिरा था. धरती पर मां के पहले स्थान के रूप में हिंगलाज माता के मंदिर को जाना जाता है.
हिंगलाज माता के मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी पूजा-अर्चना करने आते हैं और अपनी शीश झुकाते हैं. इस मंदिर को मुस्लिम लोग 'नानी का मंदिर' के नाम से जानते हैं. बताया जाता है कि मुसलमान किसी प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए मंदिर में आस्था रखते हैं तथा देवी मां के दर्शन करने आते हैं. मुस्लिम समाज के लोग मंदिर को अपने तीर्थयात्रा का हिस्सा भी मानते है. इसलिए वह इसे 'नानी का हज' कहते हैं.
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