उज्जैन का गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप के पिता ने क्यू कहा शेर था मेरा बेटा | Durlabh Kashyap Gangster

16-17 साल की उम्र जब बच्चे अपना कैरियर बनाने के लिए यह तय करते हैं कि उन्हें अपना भविष्य संवारने के लिए आखिर क्या करना है। ऐसे समय में कुछ साल पहले एक युवा ने अपराध जगत में अपने कदम रखे थे, जिसकी सोच थी कि उसे अपराध जगत का ऐसा बेताज बादशाह बनना है, जिसकी पहचान नगर और प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो। अपनी इस सोच को पूरा करने के लिए इस युवा ने नाबालिग रहते हुए इतने अपराधों को अंजाम दिया कि यह युवा कुछ समय में उज्जैन पुलिस हिस्ट्रीशीटर बन गया। लेकिन इसके बावजूद जब उसे चाही गई प्रसिद्धि नहीं मिली तो उसने एक गैंग बनाई, जो कि हर अपराध का निपटारा करती थी। यह युवा सोशल मीडिया पर स्टेटस डालकर लोगों से कहता था कि कोई भी विवाद हो निपटारे के लिए हमसे संपर्क करें।


हम बात कर रहे हैं उज्जैन के कुख्यात गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की, जिसने 16 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। उसके पिता मनोज कश्यप सरकारी स्कूल में शिक्षक थे। वह बेटे को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही चाहते थे कि उसका भविष्य भी उज्जवल हो। लेकिन दुर्लभ कश्यप के दिमाग में गैंगस्टर बनने का जुनून सवार था। यही कारण है कि उसने धीरे-धीरे अपराध की दुनिया में कदम रखा और कुछ साल में वह इतना प्रसिद्ध हो गया कि उसने अपनी एक गैंग भी बना ली। इस गैंग में 100 से अधिक युवा दुर्लभ कश्यप से जुड़े हुए थे, जो कि उसके एक इशारे पर किसी को भी मरने मारने को तैयार रहते थे। इन लोगों में सबसे अधिक नाबालिक लड़कों की संख्या थी। दुर्लभ की यह गैंग अलग ही पहचान में आती थी, क्योंकि इस गैंग का पहनावा दुर्लभ की तरह ही था।

यानी कि माथे पर लाल टीका, आंखों में सुरमा, काला कुर्ता और गले में गमछा। दुर्लभ ने कम उम्र मे ही इतने अपराधों को अंजाम दिया था कि शायद ही उज्जैन जिले का कोई थाना बचा हो, जिसमें उसके खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज न हो। साल 2018 में विधानसभा चुनाव के पहले हिस्ट्रीशीटर बदमाशों मे दुर्लभ कश्यप का नाम भी था, जिसे उसकी गैंग के 23 सदस्यों के साथ पकड़ा गया था। क्योंकि दुर्लभ इस दौरान नाबालिक था। इसीलिए उसे न्यायालय के आदेश पर बाल सुधार गृह भेज दिया गया था। लेकिन कुछ समय बाद रिहा होने के बाद दुर्लभ कश्यप फिर बाहर आया और अपराध की दुनिया में फिर कोहराम मचाने लगा। सात सितंबर 2020 को इस गैंगस्टर की हत्या एक गैंगवार के दौरान हो गई थी, जब शाहनवाज गैंग के लोगों ने दुर्लभ पर चाकू से 34 बार वार किए थे। इस समय दुर्लभ कश्यप की उम्र मात्र 20 साल थी।

ऐसे मिली दुर्लभ को प्रसिद्धि...
साल 2018 में उज्जैन के तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। तभी उन्होंने दुर्लभ और उसके कुछ साथियों की मीडिया के सामने परेड कराई। सचिन अतुलकर की कोशिश थी कि चुनाव से पहले पेशेवर अपराधियों को नियंत्रण में कर लिया जाए। उस वक्त दुर्लभ 18 साल का भी नहीं था। मीडिया वाले उसके चेहरे से अनजान थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में से एक पत्रकार ने सवाल किया, इन लड़कों में से दुर्लभ कौन है? अतुलकर का जवाब आया, वो खुद हाथ उठाकर बताएगा। फिर दुर्लभ ने बहुत अलग अंदाज में अपना हाथ ऊपर उठाया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यह वही वक्त था, जिसके साथ दुर्लभ सोशल मीडिया पर लोगों के बीच पहचान हासिल करने में सफल हो गया। दुर्लभ और उसकी गैंग के साथियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सूबे की अलग-अलग जेलों में भेज दिया गया।
 

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